Tuesday, September 24, 2024

Es dhammo sanatano

 



स्टिकलैंड गिलीलान की एक कहानी तुम्हें कहता हूं।


एक आदमी की एक नन्हीं बिटिया थी—इकलौती, अत्यंत लाडली। वह उसी के लिए जीता था, वही उसका जीवन थी। सो जब वह बीमार पड़ी और अच्छे से अच्छे वैद्य—हकीम भी उसे अच्छा न कर सके, तो वह करीब—करीब बावला सा हौ गया और उसे अच्छा करने के लिए उसने आकाश—पाताल एक कर दिया। मगर सारे प्रयत्न व्यर्थ गए, बच्ची अंतत: मर गयी।


पिता की मानसिक स्वस्थता नष्ट हो गयी। उसके मन में तीव्र कटुता भर गयी। उसने स्वजन, मित्र, सबसे काटकर अपने को अलग कर लिया। उसने द्वार—दरवाजे बंद कर दिए। जिन—जिन बातों में उसे रस था, उसने सब बातें छोड़ दीं। 


जीवन का सारा क्रम अस्तव्यस्त हो गया। मित्रों से मिलना बंद कर दिया, कामधाम बंद कर दिया, वह अपने घर में करीब—करीब क़ब्र  की तरह घर को बना लिया, उसी में पड़ा रह गया।


एक रात उसे सपना आया। वह स्वर्ग में पहुंच गया था।


 वहां उसे छोटे—छोटे बाल देवदूतों का एक जुलूस दिखायी दिया। एक श्वेत सिंहासन के पास से उनकी अंतहीन पंक्ति चलती जा रही थी। सफेद चोला पहने हुए हर एक बाल देवदूत के पास जलती हुई मोमबत्ती थी।


 परंतु उसने देखा कि एक बच्चे के हाथ की मोमबत्ती बिना जलायी हुई है—हर एक बाल देवदूत एक मोमबत्ती को हाथ में लिए चल रहा है, सफेद वस्त्र पहने एक अंतहीन पंक्ति गुजर रही है—लेकिन एक देवदूत के हाथ में बत्ती बुझी हुई है। 


फिर उसने देखा कि प्रकाशहीन मोमबत्ती वाली वह बालिका तो उसी की बिटिया है। वह उसकी ओर लपका।


 जुलूस थम गया, उसने बालिका को बाहों में भर लिया, प्यार से उसको सहलाया और पूछा, बेटी, सिर्फ तुम्हारी ही मोमबत्ती क्यों बुझी हुई है? पिताजी ये लोग तो इसे बार—बार जलाते हैं, पर आपके आसू इसे बार—बार बुझा देते हैं।


और तभी आदमी की नींद टूट गयी। संदेश स्पष्ट था, उसका उस पर गहरा प्रभाव पड़ा। उस दिन से वह स्वंम  की कैद से निकलकर, फिर से आनंदपूर्वक पहले की तरह अपने पुराने मित्रों, संबंधियों से मिलने—जुलने लगा। 


अब उसकी लाडली बिटिया की मोमबत्ती उसके व्यर्थ आसुओ से बुझती नहीं थी।


सपना है। सपना तुम्हारा है। सपना इशारा देता है। सपना तुम्हारे अचेतन से उठता है।


 इस आदमी ने यह सपना देखा। ऐसा नहीं है कि यह कहीं कोई सच में स्वर्ग पहुंच गया, कि वहां इसकी बिटिया इसको दिखायी पड़ गयी बुझी मोमबत्ती ले जाती' हुई।


 लेकिन इसके अचेतन ने इसे खबर दी कि तुम मूढ़ता कर रहे हो, तुम व्यर्थ की मूढ़ता कर रहे हो, इसमें कुछ सार नही है। ये आसू अब कब तक रोते रहोगे? इसके अचेतन ने एक संकेत भेजा।


 यह सपना इसी का संकेत है कि तुम्हारे आसू गिर रहे तुम्हारी लड़की की मोमबत्ती पर, उसकी रोशनी बुझ—बुझ जाती है, अब यह बंद करो। 


क्योंकि तुम दुखी हो, तो तुमने जिससे प्रेम किया है वह दुखी होगा। तुम दुखी हो तो तुम सारे जगत को दुख में उतार रहे हो। तुम दुख की सीढ़ी बन रहे हो।


इसको बात खयाल में आ गयी। फिर जीना उसने शुरू किया, फिर अपने को फैलाया, फिर रोशनी में आया, फिर फूल देखे, फिर चांद—तारे देखे, फिर नाचा होगा, फिर गीत गाया होगा, फिर मित्रों से मिला, फिर संबंध—सेतु बनाए, फिर जीने प्नगा।


 वह जो कब्र थी, उसके बाहर आ गया। इशारा काम कर गया। तुम्हारे स्वप्न तुम्हारे अचेतन में चलती हुई उधेड़बुन की खबरें हैं।


ओशो - एस धम्मो सनंतनो

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