Tuesday, August 13, 2019

PILIYA

  • फिटकरी को भूनकर बारीक पीसकर शीशी में सुरक्षित कर लें। इसे एक से तीन ग्राम की मात्रा में 20 ग्राम दही में मिलाकर सेवन करें। दिन में कई बार केवल दही खाते रहें। यदि दही उपलब्ध नहीं हो तो छाछ लें। एक सप्ताह में आप पूरी तरह ठीक हो जाएंगे। 
  • सफेद चंदन 5 ग्राम, हल्दी पिसी हुई 6 ग्राम लें और दोनों को शहद में मिलाकर सात दिन तक चाटें। 
  • मूली के हरे रंग का रस 450 ग्राम में चीनी इतना मिला लें कि मीठा हो जाएं। इसके बाद साफ कपड़े से छानकर पिएं। पीते ही लाभ मिलेगा। मात्र सात दिन में रोग जड़ से नष्ट हो जाएगा।
  • गिलोय की लता गले में लपेटने से भी फायदा होता है। 
  • गिलोय के अर्क 50 ग्राम में 20 ग्राम शहद मिलाकर पीना पीलिया रोग में अत्‍यंत लाभकारी है।
  •  टमाटर के 100 ग्राम रस में 3 ग्राम काला नमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। 
  •  कड़वी तोरई का रस 2-3 बूंद नाक में चढ़ा लें । दवा अंदर जाते ही पीले रंग का पानी निकलना प्रारंभ हो जाएगा। पानी निकलकर कर रोगी एक ही दिन में ठीक हो जाता है।
  •  फिटकरी कच्ची 20 ग्राम बारीक पीसकर 21 पुड़िया बनाकर प्रतिदिन एक पुड़िया मक्खन के साथ सेवन करें। पुराने से पुराना पीलिया जड़ से खत्म होगा।
  •  बढ़िया सफेद फिटकरी भूनकर बारीक पीसकर किसी साफ शीशी में सुरक्षित रख लें । यदि पीलिया रोग एक माह से अधिक समय से है तो पहले दिन 1 ग्राम, दूसरे दिन 2 ग्राम, तीसरे दिन 3 ग्राम और उसके बाद 3 ग्राम नित्य फांककर ऊपर से दही का एक प्याला पी लें। मात्र सात दिनों में ही पुराने से पुराना रोग जड़ से नष्ट हो जाएगा । 
  • अरंड के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम तक गाय के कच्चे दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें। इसके सेवन से 3 से 7 दिनों में पीलिया नष्ट हो जाता है।

तोरई के अद्भुत फायदे


क हरी सब्जी है जो पूर साल भर उगाई जाती है और इसके गुणों की वजह से काफ़ी पसंद भी की जाती है। तुरई में अधिक मात्रा में पानी और ज़रूरी तत्व जैसे पोतेशियम, मग्न्निशियम, विटामिन सी और ए पाया जाता है। वही दूसरी तरफ तुरई में केलोरीस, कारबोहाइड्रेट और शुगर की मात्रा कम होती है। तो यदि आप वजन कम करने का स्वस्थ तरीका ढूँढ रहे हैं तो तौरई के फ़ायदों के बारे में जानने का यही समय है। आइए जानते है तुरई के लाभों के बारे में।

कोलेस्टरॉल कम करता है

तुरई उन सब्ज़ियों में से है जिसमे कोलेस्टरॉल की मात्रा ना के बराबर होती है। तुरई में मौजूद घुलनशील फाइबर हमारे शरीर मे से खराब कोलेस्टरॉल को हटाने का काम करती है। कोलेस्टरॉल कम होने से दिल की बीमारी होने का ख़तरा भी कम हो जाता है।

केंसर के रोग से बचाता है

तुरई के नियमित सेवन से शरीर का संपूर्ण स्वास्थ्य में निश्चित सुधार होता है। तुरई में पाया जाने वाला विटामिन सी, डाइयिटरी फाइबर शरीर को केंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाता है जो शरीर के फ्री रेडिकल्स को बाहर निकालता है तथा इसके सेवन से शरीर में मौजूद फ्री रॅडिकल्स से निजात पाया जा सकता है।

आँख की रोशनी के लिए लाभदायक

तुरई में एंटीओक्सीडेंट और ल्यूनिन जैसे तत्व पाए जाते हैं जो आँखों में होने वाली बीमारियों से सुरक्षा करते हैं। तुरई में मौजूद पानी आँखों को ठंडक पहुचा कर राहत देता है। ये एंटीओक्सीडेट्स न केवल आखों की रोशनी बढ़ाता है बल्कि लंबे समय तक आखों को स्वस्थ रखता है।

पाचन शक्ति बढ़ाने में मददगार

तुरई में भारी मात्रा में पानी होने की वजह से यह आसानी से पचने वाली सब्जी होती है। इनमे पाया जाने वाला फाइबर पेट की समस्या जैसे पेट का दर्द, गेस बनना, जलन होना इत्यादि ठीक करने में मदद करता है। तुरई का सूप बना के पीने से पाचन क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

रक्तचाप को नियंत्रण में रखता है

आज की तनाव से भरी दिनचर्या में अधिकतम व्यक्ति उच रक्तचाप से पीड़ित है। हमारे शरीर को उच रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए पोटेशियम की पर्याप्त मात्रा की ज़रूरत होती है। तुरई पोटेशियम से भरपूर होती ह इसलिए रक्तचाप को नियंत्रण में रखने क लिए तुरई राम-बान का काम करती है।

दिल को सुरक्षित रखता है

तुरई मे कम कोलेस्टरॉल सोडियम फेट होता है जो शरीर में कारबोहाइड्रेट की मात्रा को नियंत्रित करके दिल को सुरक्षित रखता है। तुरई में मौजूद फाइबर भी दिल के होने वाली समस्या जैसे स्ट्रोक और अनय बीमारियों से बचाने में लाभदायक होती है।

मजबूत हड्डियो का विकास

तुरई एक ऐसी चमत्कारी सब्जी है जिसमे ल्यूनिन, मॅग्नीज़ियम, फोलेट और फाइटोकेमिकल्स मौजूद होते हैं। ऐसे तत्वों से हमारे शरीर की हड्डियो और दाँतों को मजबूत बनाने की भूमिका निभाते हैं। मॅग्नीज़ियम हड्डी को मजबूत ओर लचीला बनाने में कारगर साबित होता है।

प्रेग्नेन्सी में वरदान

प्रेग्नेन्सी के दौरान सेहतमंद और पोष्टिक खाना अत्यंत ज़रूरी है जिससे बच्चे का संपूर्ण विकास होता है। तुरई में मौजूद बीकॉम्प्लेक्स विटामिन ताक़त प्रदान करता है। तुरई में मौजूद फॉलिक एसिड बच्चे को संपूर्ण आहार देता है और ग्रोथ में मदद करता है।

गठिया मे लाभदायक

बढ़ती उमर में जोड़ो का दर्द बहुत आम बात है। उसे कम करने के लिए तुरई का सेवन नियमित रूप से करे क्योंकि इसमे विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। विटामिन सी होने की वजह से ये गठिया मे फ़ायदेमंद होता है और साथ साथ मूत्राशय से संबंधित बीमारी को भी ठीक करने की क्षमता रखता है।

बालो को मजबूत बनाने में

तुरई में भारी मात्रा में ज़िंक पाया जाता है जो हमारे बालों को घना और चमकदार बनाने में मदद करता है। तुरई के रस से अपने सर को मसाज करने से डैंड्रफ और बाल झड़ने जैसी समस्याओं से निजात पाया जा सकता और मज़बूत भी बनाता है।

वजन कम करता है

यू तो तुरई के अनेक फ़ायदे हैं लेकिन वजन कम करने में तो यह सबसे कारगर साबित होती है। तुरई में केलोरीस बहुत कम होती है इसलिए इसके सेवन करने के बाद पेट भरा हुआ लगता है और भूख कम लगती है। और यह पेट के लिए भी वरदान के समान है।

अस्थमा के इलाज में कारगर होती है

तुरई में विटामिन सी होता है जो सांस की समस्या जैसे अस्थमा और ब्रॉंकाइटिस से निजात दिलाता है। विटामिन सी जुकाम में भी काफ़ी लाभदायक होता है। तुरई मे तांबा होता है जो अस्थमा का इलाज में सहायक होता है।

चिचिण्डा के 12 फायदे, उपयोग और नुकसान

चिचिण्डा के 12 फायदे, उपयोग और नुकसान - Benefits of Snake Gourd (Chichinda) in Hindi

क्या आप चिचिण्डा का सेवन करते हैं? अगर आप इसे नहीं खाते, तो आज ही इसे अपनी डायट में शामिल करें। यह ऐसा खाद्य पदार्थ है, जो न सिर्फ आपकी सेहत के लिए, बल्कि बालों के लिए भी बेहतरीन साबित हो सकता है। अगर किसी को मोटापे की समस्या है, पेट खराब है या डायबिटीज से जूझ रहा है, तो चिचिंडा यानी स्नेक गॉर्ड आपके लिए रामबाण का काम कर सकता है।
स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम चिचिण्डा के फायदे व चिचिण्डा का उपयोग बताएंगे। साथ ही चिचिण्डा कैसे खाएं का भी जवाब आपको इस लेख में मिलेगा। आइए, पहले जानते हैं कि चिचिण्डा के फायदे क्या हैं।
शुगर को नियंत्रित करने के लिए चिचिण्डा फायदेमंद साबित होता है। इसे चाइनीज डाइट का महत्वपूर्ण आहार भी माना गया है। चिचिण्डा में एंटीओबेसिटी और एंटीडायबिटीक गुण होते हैं, जो आपके वजन और टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं (1)।
चिचिण्डा बुखार में भी काम आता है। यह विटामिन और खनिजों के साथ से भरपूर है और आपको मलेरिया से निपटने में भी मदद कर सकता है (2)। अगर आपको बुखार है, तो चिचिण्डा में थोड़ी-सी चिरायता (जड़ी-बूटी) और शहद मिलाकर सेवन करने से बुखार में आराम मिल सकता है।
चिचिण्डा हृदय संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। यह दिल में दर्द और तनाव के लिए कारगर साबित हो सकता है। यह आपके सर्कुलेशन को सुधारता है, जिससे हृदय संबधी समस्याओं का खतरा कम होता है। बेहतर परिणाम के लिए रोजाना दो कप चिचिण्डा का अर्क लिया जा सकता है (3)।
अगर आपका पाचन खराब रहता है और कब्ज की समस्या रहती है, तो चिचिण्डा आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है और पेट में गैस नहीं बनती। इस कारण आपका पाचन तंत्र ठीक प्रकार से काम करता है।

श्वसन संबंधी समस्या के लिए


चिचिण्डा में कफ निवारक गुण होते हैं, जो आपके श्वसन मार्ग और साइनस से श्लेष्म और कफ को हटाने में मदद करते हैं। इसके सेवन से श्वसन मार्ग साफ होता है, जिस कारण सांस लेने में होने वाली कठिनाई से राहत मिल सकती है।

6. पीलिया

पीलिया की बीमारी किसी को भी हो सकती है। ऐसे में चिचिण्डा के पत्ते फायदेमंद साबित हो सकते हैं। आप धनिया के बीज के साथ चिचिण्डा के पत्तों को पीसकर करीब 30 से 60 ग्राम खुराक का सेवन दिन में तीन बार कर सकते हैं (4)।

7. पेट साफ करने की दवा

चिचिण्डा पेट साफ करने की दवा के रूप में काम करता है। यह शरीर में सभी विषैले जीवाणुओं को बाहर निकाल देता है। इस मामले में चिचिण्डा की सब्जी की जगह उसका रस सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। यह पाचन तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है। वहीं, इसकी पत्तियां आंतों को साफ करने में मदद करती हैं। आप हर सुबह एक से दो चम्मच चिचिण्डा के रस का सेवन कर सकते हैं। साथ ही इसके बीज भी पुरानी से पुरानी कब्ज को जड़ से खत्म कर सकते हैं (5)।

8. एलोपेशिया

चिचिण्डा का रस आपको एलोपेशिया की समस्या से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है। एलोपेशिया ऐसी समस्या है, जिसमें सिर के बीच-बीच में से बाल झड़ने लगते हैं और सिर पर गंजेपन के चकत्ते बन जाते हैं (6)।

9. कम कैलोरी वाला

चिचिण्डा एक कम कैलोरी वाला खाद्य पदार्थ है। यह आपको फैट से बचाते हुए कई जरूरी पोषक तत्व देता है। कम कैलोरी होने से यह आपको वजन नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका फैट न बढ़े, तो चिचिण्डा का सेवन करें (2)।

10. मिनरल से भरपूर

चिचिण्डा स्वास्थ्यवर्धक सब्जियों में से एक है, क्योंकि यह मैग्नीशियम, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे आवश्यक खनिजों से समृद्ध है। ये खनिज शारीरिक कार्यों में सुधार करते हैं और हड्डियों व दांतों को मजबूती देते हैं।

11. डैंड्रफ में फायदेमंद

आजकल डैंड्रफ यानी रूसी की समस्या आम हो गई है। अगर आप भी रूसी से परेशान हैं, तो चिचिंडा का सेवन आपको फायदा पहुंचा सकता है। डैंड्रफ होने पर आप सप्ताह में तीन बार चिचिंडा रस अपने सिर पर 15-20 मिनट के लिए लगाएं। आपको कुछ ही समय में फर्क नजर आने लगेगा।

12. बाल झड़ने से रोके

अगर आपको झड़ते बालों की समस्या है, तो चिचिंडा का प्रयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। झड़ते बालों की समस्या से राहत पाने के लिए आप चिचिंडा के रस को सप्ताह में दो से तीन बार बालों में लगाएं। फिर सादे पानी से धो लें। बाद में आप शैंपू कर सकते हैं।
चिचिण्डा पाईल्स औषधि / Piles Natural Remedies
पाईल्स मरीज के लिए चिचिण्डा अति फायदेमंद औषधि रूप है। चिचिण्डा कच्च खाना और चिचिण्डा रस पीना दोनों से फायदेमंद है। चिचिण्डा खूनी वबासीर को तुरन्त रोकने और धीरे-धीरे वबासीर जड़ से मिटाने में सक्षम है।


अवचेतन मन के 11 नियम जो आपकी दुनिया 3 दिन में बदल देंगे

  अवचेतन मन के 11 नियम, जो आपकी जिंदगी को प्रभावित करते हैं और उन्हें संचालित करते हैं इनके बारे में आज आप जानेंगे। ईश्वर के द्वारा रचा गया ...