Friday, March 1, 2024

अवचेतन मन के 11 नियम जो आपकी दुनिया 3 दिन में बदल देंगे

 अवचेतन मन के 11 नियम, जो आपकी जिंदगी को प्रभावित करते हैं और उन्हें संचालित करते हैं इनके बारे में आज आप जानेंगे। ईश्वर के द्वारा रचा गया सबसे जटिल और सबसे अद्भुत रचना मानव का दिमाग होता है, इसके भीतर अविश्वसनीय शक्तियां छिपी हुई है, जिससे आप अवगत नहीं होंगे।

आप अपनी चेतना और विचारों के प्रति जागरूक रह सकते हैं और उन्हें समझ सकते हैं लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा की यह मात्र आपका 10 प्रतिशत हिस्सा ही होता है जिसके बारे में आप समझ पाते हैं।

बाकी का 90% हिस्सा आपका अवचेतन मन होता है। एक उदाहरण से आप ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे आप ड्राइवर की सीट पर बैठ कर कार चला रहे हैं और आपको लगता है कि सब कुछ आप ही कर रहे हैं जबकि वास्तविक प्रक्रिया कार के इंजन से ही संचालित होती है।

बाकी का 90% हिस्सा आपका अवचेतन मन होता है। एक उदाहरण से आप ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे आप ड्राइवर की सीट पर बैठ कर कार चला रहे हैं और आपको लगता है कि सब कुछ आप ही कर रहे हैं जबकि वास्तविक प्रक्रिया कार के इंजन से ही संचालित होती है।

अवचेतन मन के 11 नियम

अवचेतन मन के भीतर भी तमाम क्रियाएं होती हैं और उनके नियम भी ज्ञात हो चुके हैं। आज हम अवचेतन मन के 11 नियम का पता लगाएंगे और उसका उपयोग आप, अपने व्यक्तिगत विकास और सफलता के लिए कैसे प्रयोग में लाएंगे इसकी भी जानकारी आपको मिलेगी।

1- विश्वास की शक्ति

अवचेतन मन हमारे भीतर गहराई में निहित विश्वासों के आधार पर संचालित होते हैं। यह हमारे विश्वासों को स्वीकार करता है और उस पर कार्य करना प्रारंभ करता है, भले ही वह हमारी क्षमता से बाहर का ही क्यों ना हो।

ऐसा कई बार देखा गया है कि विश्वास की शक्ति का प्रयोग करते हुए लोगों ने ऐसा कार्य जो लोगों के लिए असंभव था। इसका उदाहरण आप इतिहास के पन्नों में देख सकते हैं जहां पर नेपोलियन, सिकंदर, समुद्रगुप्त जैसे महान शासकों ने इस शक्ति का उपयोग किया।

इसका उपयोग करके आप बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। अवचेतन मनके 11 नियम में यह पहला नियम शक्ति का प्रतीक है।

2- अवचेतन प्रोग्रामिंग

इसका दूसरा नियम यह बताता है कि आप अपने अवचेतन मन को पहले से ही प्रोग्राम कर सकते हैं। आपके पिछले अनुभव, कंडीशनिंग और बार-बार आने वाले विचार अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग को बनाते हैं।

इसका असर हमें अपने व्यवहार और क्रियाओं पर दिखाई देता है। सबसे अच्छी बात है कि आप अपने अवचेतन मन के प्रोग्राम को बदल भी सकते हैं।

यदि आपके भीतर नेगेटिव प्रोग्रामिंग हो चुकी है उसे पहचानिए और रीप्रोग्राम करके अपने जीवन में बदलाव देख सकते हैं।

3- अवचेतन मन की भाषा

अवचेतन मन की अपनी भाषा होती है जिसमें वह चित्रों आकारों और भावनाओं के माध्यम से संचार करता है।

इसकी भाषा को समझना और इसमें छिपे हुए संदेशों को जानना है हमारे लिए आवश्यक होता है। यदि आप इसके प्रति जागरूक रहते हैं तो अवचेतन मन के ज्ञान का लाभ आप उठा सकते हैं।

4- पावर ऑफ़ विज़ुअलाइज़ेशन

अवचेतन मन के 11 नियम में चौथा नियम यह बताता है कि इसके पास विज़ुअलाइज़ेशन की पावर होती है।

इसका मतलब यह हुआ की यह अपने लक्ष्यों, सपनों और जरूरी परिणामों की लगातार कल्पना करके उसे आप एक शक्तिशाली संकेत दे सकते हैं जिससे वह आपके मनचाही दिशा में कार्य करना प्रारंभ कर देता है।

5- भावनाओं की भूमिका

जैसा कि पहले बताया जा चुका है की भावनाएं अवचेतन मन की भाषा होते हैं।

आपके भीतर आनंद, प्रेम, कृतज्ञता जैसी पॉजिटिव भावनाओं का विकास होना महत्वपूर्ण होता है।

अगर आप अपनी भावनाओं का सही प्रयोग करेंगे तो आप अपने भीतर इमोशनल इंटेलीजेंस को पैदा कर लेंगे।

आज की दुनिया की सारी बड़ी कंपनियां, देशों की सरकारें और बड़ी संस्थाएं इमोशनल इंटेलिजेंस का उपयोग करके लाभ कमाते हैं। आप भी इसका उपयोग करके जीवन में कुछ बड़ा लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।

6- क्रिएटिविटी

अगर क्रिएटिविटी की बात करें तो आपका अवचेतन मन विशाल सागर की भांति है। जिस प्रकार से सागर से सभी रत्नों को खोज कर निकाला जाता है, उसी प्रकार से आप, अपने अनकॉन्शियस माइंड से ऐसी चीजें भी खोज सकते हैं, जिन्हें खोजना अभी तक संभव नहीं हुआ है।

वास्तव में कला, लेखन या बुद्धिमत्ता सभी चीजें अवचेतन मन के भीतर छुपी हुई होती हैं, जिन्हें आपका चेतन मन उपयोग करता है।

अगर कम शब्दों में कहें तो हमारी सारी क्रिएटिविटी का स्रोत हमारा अवचेतन मन ही है। अवचेतन मन के 11 नियम में या छटा नियम है जिसकी मदद से आप कुछ भी नया क्रिएट कर सकते हैं।

7- आत्म छवि

अवचेतन मन के 11 नियम का सातवां नियम यह कहता है कि, जो हम स्वयं के बारे में सोचते हैं और स्वयं की छवि की धारणा मन रखते हैं वह हमारे कार्यों और परिणामों में दिखलाई देती है और हम वैसे ही बन जाते हैं।

इसे आप खुद पर देखिए, यदि आप कभी भी निराश हों अथवा मानसिक तौर पर कमजोर महसूस कर रहे हों, तो अपने बॉडी को इस पोज में रखिए जो विजेताओं की होती है।

अधिक जाने : एक ही बात बार-बार सोचने से क्या होता है?

आप देखेंगे कि आपका तनाव 5 मिनट के भीतर ही कम हो जाएगा तथा आपके भीतर एक ऊर्जा का अनुभव होने लगेगा।

8- आदत की शक्ति

अगर व्यक्तिगत तौर पर आप मुझसे पूछें तो मैं कहूंगा की अवचेतन मन के 11 नियम में आपका पसंदीदा नियम कौन सा है तो मैं कहूंगा आदत की शक्ति, इसके पीछे का कारण भी आप समझ लीजिए।

जिस कार्य को आप बार-बार दोहराते हैं वह आपकी आदत बन जाती है। इसे अगर आप पॉजिटिव तरीके से ले तो आप अच्छे कार्य को दोहरा कर एक अच्छा रिजल्ट पा सकते हैं।

9- अंतर्ज्ञान

अवचेतन मन का यह नियम बताता है कि आप अपने अवचेतन मन के इस्तेमाल से अपने चेतना को शांति और सुखी कर सकते हैं।

वास्तव में हमारा अवचेतन मन अंतर्ज्ञान से जुड़ा हुआ होता है जो हमें सही मार्गदर्शन प्रदान करता है।

10- प्रतिज्ञान की शक्ति

चेतन मन के 11 नियम में दसवां नियम प्रतिज्ञान की शक्ति का नियम है। प्रतिज्ञान एक सकारात्मक वाक्य होता है जो हम खुद को समझाने, प्रभावित करने और सकारात्मक बदलाव को प्राप्त करने के लिए दोहराते हैं।

11- स्वीकार करें या छोड़ें

यदि आप खुद को बदलना चाहते हैं तो यह एक बहुत अच्छा टूल है जिससे आप अपने भीतर मनचाहा बदलाव ला सकते हैं। जब भी आपके मन में कोई नेगेटिव विचार उत्पन्न हो तो आप चाहे तो मुझसे अस्वीकार कर दें।

अवचेतन मन के 11 नियम में आखरी रूल यह कहता है कि आपके भीतर उत्पन्न हुए विचार को स्वीकार करने और उसे छोड़ने की शक्ति छिपी होती है

एक ही बात बार-बार सोचने से क्या होता है? कहीं आप तो नहीं बन रहे इसके शिकार


क्या आपको पता है कि एक ही बात बार-बार सोचने से क्या होता है, और यह आपकी मानसिक क्षमता को कितना घटा सकता है, इसका अंदाजा भी आपको नहीं होगा। सांइस की बात करें तो सोंचने की प्रक्रिया न्यूरॉन्स के कनेक्शन से संभव हो पता है कुछ न्यूरॉन्स मिलकर एक निश्चित पाथ बना लेते हैं जिसके परिणाम स्वरुप हम कुछ सोंच पाते हैं।

जब इस पाथ में एक लूप पैदा हो जाता है तब हम एक ही बात को बार-बार सोंचने लगते हैं।

ज्यादा सोंचना अथवा एक ही बात को बार- बार सोंचना ओवर थिंकिंग कहलाता है। वैसे तो इसे कोई बींमारी नहीं माना जाता है, लेकिन यह कई प्रकार की बीमारी की शुरुआत कराने में मददगार जरूर बनता है।

इसकी सबसे खास बात यह होती है कि, आपको पता ही नहीं चलता कि आप ओवर थिंकिंग के दौर से गुजर रहे हैं। इसका अहसास आपको तब होता है जब आपका सर भारी लगता है या मानसिक तनाव जैसा प्रतीत होता है।

एक ही बात बार-बार सोचने से क्या होता है और इसके क्या विपरीत प्रभाव पड़ते हैं ? इसे जानने से पहले, जानिए कि, किस तरह के लोग इसका सबसे अधिक शिकार बनते हैं।

ओवर थिंकिंग किसे होता है ?

ओवर थिंकिंग उनके साथ सबसे ज्यादा घटित होता है जो दूसरों के साथ संबंधों को सबसे ज्यादा महत्व देते हैं।

जो दूसरों को खुश रखने का प्रयास करता है वही दूसरों के बारे में सोंचने में सबसे अधिक समय व्यतीत करता है और ऐसे लोग इससे सबसे पहले प्रभावित होते हैं।

आपने अक्सर देखा होगा कि जिसके ऊपर किसी अन्य के व्यवहार से फर्क पड़ता है वही सबसे बड़े ओवर थिंकर बनते हैं। इसके अलावा एक ही बात को बार-बार वे लोग भी सोंचते हैं जिनके अंदर किसी प्रकार की चिंता होती है।

एक ही बात बार-बार सोचने से क्या होता है, पहले इसके प्रभाव को जान लीजिये फिर इससे बचने का तरीका आप जानेगें।

एक ही बात बार-बार सोचने से क्या होता है ?

जब आप एक ही बात को बार-बार सोंचते हैं तो आपके लिए किसी निर्णय पर पहुँच पाना कठिन हो जाता है। ऐसा होने पर आप अपनी समस्या से बाहर ही नहीं निकल पाते हैं क्योंकि आपको कोई रास्ता ही नहीं मिलता है।

यह धीरे-धीरे आपका मानसिक तनाव बढ़ाता है जो आपको गंभीर बीमारी की तरफ धकेलता है।

शायद आप नहीं जानते होगें कि, एक ही बात बार-बार सोंचना हाई ब्लेड प्रशेर की भी निशानी हो सकती है। यदि आपके मन से कोई बात न निकल रही हो तो आप एक बार अपना बी.पी. जरूर चेक कर ले।

इन तमाम चीजों के अलावा एक ही बात बार-बार सोंचने से सबसे ज्यादा आपकी नींद प्रभावित होती है। किसी भी ओवर थिंकर के लिए नींद न आना सबसे कॉमन समस्या है।

अधिक जानें : अपने मानसिक डर को कैसे दूर करें? जानिए सबसे पावरफुल तरीका

और अगर ऐसा किसी के साथ होता है तो उसकी लाइफ स्टाइल बिल्कुल खराब कर देता है। इससे कैसे बचना है इसका तरीका अब आप जान लीजिये।

एक ही बात बार-बार सोचने से कैसे बचें?

जब आप एक ही बात बार-बार सोचने लगते हैं तो आपके थिंकिंग प्रोसेस का एक लूप तैयार हो जाता है। आपके लिए इस लूप से बाहर निकलना बहुत जरूरी होता है, यदि आप अपनी ओवरथिंकिंग से बचना चाहते हैं।

इसका सबसे आसान तरीका है कि आप अपने जीवन के एक्सट्रीम पलों को याद करें, चाहे वह पल खुशी से भरे हो अथवा दुख वाले पल हों।

आप उस दिन के बारे में सोचें जो आपके जीवन के सबसे खुशी से भरे पल थे। यदि इससे काम ना चले तो आप दुख वाले पल के बारे में भी सोच सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से आपके भीतर एक इमोशनल वेब जनरेट होगी जो कि आपके लूप को तोड़ने में मददगार साबित होगी।

इस प्रक्रिया से आप ओवरथिंकिंग से बाहर आसानी से निकल सकते हैं। एक ही बात बार-बार सोचने से क्या होता है इसके बारे में आपको पता चल गया, और इससे बचने का तरीका भी आप जान चुके हैं।

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