Tuesday, August 29, 2017

अर्ध मत्स्येंद्रासन के लाभ

यह एक ध्यानात्मक आसन है जो शारीरिक रूप से भी बहुत अधिक उपयोगी है| मत्स्येंद्रासन की आधी क्रिया को लेकर ही अर्धमत्स्येंद्रासन अधिक प्रचलित हुआ| यह रीढ़ की हड्डियों के साथ उनमे से निकलने वाली नाड़ियो को बहुत ही आसानी से पुष्ट करता है| इस आसान के महत्व को समझते हुए ही इसके लाभ का वर्णन हठयोग प्रदीपिका में किया गया है| घरेण्ड संहिता में भी इस आसन का सम्पूर्ण विवरण दिया गया है|

अर्धमत्स्येंद्रासन करने की विधि

हठयोग प्रदीपिका और घरेण्ड संहिता में वर्णित आसन भिन्न भिन्न है| हठयोग प्रदीपिका वर्णित आसन आसन की साधारण विधि अधिक प्रचलन में है| आइये जानते है इसकी विधि-

पहली विधि

हठयोगप्रदीपिका के अनुसार, इस आसान को करने के लिए, दायें पैर को बायीं पैर की जांघ के मूल में रखकर और बाये पैर को दाहिने घुटने के बाहर निकालते हुए शरीर को ऐंठकर, हाथो को विपरीत दिशा में पकड़कर बैठना ही एक पैर से कर लेने के बाद इसी प्रकार से बाये पैर से भी किया जाता है|
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दूसरी विधि

मत्स्येंद्रासन थोड़ा कठिन आसन है इसलिए आप अर्ध मत्स्येंद्रासन भी कर सकते है| जिसकी विधि कुछ इस प्रकार है-
इसे करने के लिए सबसे पहले समतल जमीन पर पेरो को लम्बा करके बैठ जाएं| इसके बाद बाये पैर को घुटने की ओर से मोड़े तथा एड़ी को गुदाद्वार के नीचे रखें| अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए, बाये पैर की जंघा के पीछे की तरफ ले जाकर जमीन पर रख दें| अब बाये हाथ को दाहिने पैर के घुटने से पार करके अर्थात घुटने को बगल में दबाते हुए बायें हाथ से दाहिने पैर का अँगूठा पकड़ें। अब दाहिना हाथ पीठ के पीछे से घुमाकर बाये पैर की जांघ का निम्न भाग पकड़ें। सिर को दाहिनी ओर इतना घुमाएँ की ठोड़ी और बायाँ कंधा एक सीध में आ जाए तथा ध्यान रखें की यह नीचे की ओर ना झुकें। छाती और गर्दन को सीधा और तना हुआ रखें|
यह एक तरफ का आसन हुआ। इस प्रकार पहले दाहिने पैर मोड़कर, एड़ी गुदाद्वार के नीचे दबाकर दूसरी तरफ का आसन भी करें। प्रारंभ में इस आसन को कुछ समय के लिए करें, फिर अच्छी तरह अभ्यासरत हो जाने पर आप इसकी समयावधि को बड़ा सकते है|

अर्ध मत्स्येंद्रासन के लाभ 

  1. इस आसन के अभ्यास से मेरुदण्ड याने रीढ़ हड्डी मजबूत होती है और शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है|
  2. पेट के सभी अंगो के लिए यह फायदेमंद होता है| साथ ही रीढ़ की हड्डियों से निकलने वाली नाड़ियो की भी बहुत अच्छे से कसरत हो जाती है|
  3. इसके अभ्यास से जठराग्नि तीव्र होती है| इसके तीव्र होने से कब्ज, अपच की समस्या दूर होती है, साथ ही लिवर ठीक तरह से कार्य करता है जिससे पीलिया या अन्य लिवर के रोगो में राहत मिलती है|
ऊपर अपने जाना Ardha Matsyendrasana in Hindi, यह योगासन थोड़ा कठिन है इसलिए इसे किसी योग शिक्षक की मदद से प्रारम्भ करें, अभ्यासरत हो जाने के पश्चात् आप इसे आसानी से घर पर कर सकते है|



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